आज कम्प्यूटर एक सामान्य व लगभग सर्व सुलभ उपकरण की भाँति प्रयोग होता है। यहाँ योरोप में तो क्या कहने अपितु भारत के नगरों में भी आधुनिक बच्चे तक इसके त्वरित अनुप्रयोगों से परिचित ही नहीं शौकीन भी हैं , यदि यहाँ तक कहा जाए कि यह संसाधन उनकी महती आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है तो इसमें कदापि अतिशयोक्ति नहीं है।
किंतु कुछ वर्ष पूर्व तक एक समय ऐसा था जब कम्प्यूटर सामग्री से जुड़े व्यवसाय वालों को बाजार को लुभाने व खरीददारों को बेचने के लिए इसके विज्ञापनों को कुछ इस तरह पेश करना पड़ता था कि आज उन विज्ञापनों को देखना भी काफी रोचक व आश्चर्यजनक लग सकता है कि कैसे सूचना क्रांति के बाजार का इतना त्वरित रूप परिवर्तन हुआ है।
ऐसे ही कुछ विज्ञापनों की बानगी यहाँ देखी जा सकती है -
सच कहा
जवाब देंहटाएंbahut khub. keep itup
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ultateer.blogspot.com
कविता जी !
जवाब देंहटाएंमयूजियम मैं रखने लायक सामग्री पुब्लिश की है आपने, आप इस ब्लाग को आगे जरूर बढायें, बड़ी पुराणी यादें तजा कर दीं आपने ! मुझे याद है जब १९९१ में ४० एम् बी हार्डडिस्क के साथ मैंने पहला कंप्यूटर ख़रीदा था और दोस्तों ने कहा था कि इतने पैसों मैं फिएट खरीद सकते थे!
इस उपयोगी सामग्री के लिए धन्यवाद
सतीश
आशीष,अमित और सतीश जी !
जवाब देंहटाएंआप की इन उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाओं के लिए आभारी हूँ. असल में आज ही देख पाई हूँ,सो आभार में विलम्ब हुआ. सद्भाव बनाए रखें.
सचमुच रोचक!!
जवाब देंहटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंbahut achha hai
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